एक खूबसूरत हसीना को देखा
एक खूबसूरत हसीना को देखा और पिघल गया मैं
नौकरी पेशा आदमी था शायर मे बदल गया मैं
मेरे महबूब ने एक रोज़ आंखों से तीर चलाया था
घायल होकर गिर ही जाता मगर सम्हल गया मैं
वो जब हंस हंस के रकीब से बाते कर रहे थे
बाहर से ठीक था उस वक्त भीतर से जल गया मैं
बहुत मिन्नतों बाद जब वो अप्सरा मेरे घर आयी
खाक अप्सरा के कदमों की अपने पर मल गया मैं
इरादा बनाया था आज उन्हें आगोश मे भरने का
करीब पहुंचा तो महज हाथ मिलाकर निकल गया मैं
मेरे अंदाज,शख्सियत,तौर-तरीके मेरे अपने नहीं है
जैसा बनाना चाहा दिलबर ने उसने उसी तरह ढल गया मैं
Shashank मणि Yadava 'सनम'
18-Sep-2022 08:00 AM
Wahhhh अंतिम दो लाइन बहुत ही उत्कृष्ट,,, Outstanding
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chetan prajapat
18-Sep-2022 08:27 AM
आपका बहुत बहुत आभार
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Swati chourasia
18-Sep-2022 07:19 AM
बहुत खूब 👌
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Supriya Pathak
17-Sep-2022 11:16 PM
Achha likha hai 💐
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